महाकवि कालिदास की जीवनी एवं प्रमुख रचनाये | Kalidas Biography In Hindi

महाकवि कालिदास की जीवनी एवं प्रमुख रचनाये | Kalidas Biography In Hindi

In : Viral Stories By storytimes About :-6 years ago
+

महाकवि कालिदास की जीवनी एवं प्रमुख रचनाये | Kalidas Biography In Hindi

पूरा नाम – महाकवि कालिदास

जन्म – 150 वर्ष ईसा पूर्व

जन्म स्थान – उत्तरप्रदेश

पत्नी – विद्योतमा

कर्म क्षेत्र – संस्कृत कवि

उपाधि – महाकवि

Kalidas Story Biography In Hindi

कालिदास संस्कृत भाषा के महान(great) कवि और नाटककार थे। उन्होंने भारत की पौराणिक(Mythological) कथाओं(stories) और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की और उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्व निरूपित हैं। कालिदास अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं और कुछ विद्वान उन्हें राष्ट्रीय कवि का स्थान तक देते हैं।

अभिज्ञानशाकुंतलम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध(Famous) रचना है। यह नाटक कुछ उन भारत  साहित्यिक(Literary) कृतियों में से है जिनका सबसे पहले यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद हुआ था। यह पूरे विश्व साहित्य में अग्रगण्य रचना(composition) मानी जाती है। मेघदूतम् कालिदास की सर्वश्रेष्ठ(best) रचना है जिसमें कवि की कल्पनाशक्ति(Imagination) और अभिव्यंजनावादभावाभिव्यन्जना शक्ति अपने सर्वोत्कृष्ट स्तर पर है और प्रकृति के मानवीकरण का अद्भुत रखंडकाव्ये से खंडकाव्य में दिखता है

कालिदास वैदर्भी रीति के कवि(Poet) हैं और तदनुरूप वे अपनी अलंकार युक्त किन्तु सरल और मधुर भाषा(Language) के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं।

उनके प्रकृति वर्णन अद्वितीय(Unique) हैं और विशेष रूप से अपनी उपमाओं के लिये जाने जाते हैं। साहित्य में औदार्य(Generosity) गुण के प्रति कालिदास का विशेष प्रेम है और उन्होंने अपने शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी आदर्शवादी(Idealist) परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है।

कालिदास के परवर्ती (The latter)कवि बाणभट्ट ने उनकी सूक्तियों(Dictum) की विशेष रूप से तारीफ की है

जन्म स्थान

Kalidas Story Biography In Hindi

कालिदास के जन्मस्थान(birth place) के बारे में भी विवाद है। मेघदूतम् में उज्जैन के प्रति उनकी विशेष(special) प्रेम को देखते हुए कुछ लोग उन्हें उज्जैन का निवासी मानते हैं।

साहित्यकारों ने ये भी सिद्ध करने का प्रयास किया है कि कालिदास का जन्म उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव में हुआ था। कालिदास ने यहीं अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी औऱ यहीं पर कालिदास ने मेघदूत, कुमारसंभव औऱ रघुवंश जैसे महाकाव्यों(Epics) की रचना की थी। कविल्ठा चारधाम यात्रा मार्ग में गुप्तकाशी में स्थित है। गुप्तकाशी से कालीमठ सिद्धपीठ वाले रास्ते में कालीमठ मंदिर से  4KM आगे कविल्ठा गांव स्थित है। कविल्ठा में सरकार ने कालिदास की प्रतिमा स्थापित कर एक सभागार की भी निर्माण करवाया है। जहां पर हर साल जून माह(Month) में तीन दिनों तक गोष्ठी का आयोजन(Arrangement) होता है, जिसमें देशभर के विद्वान भाग लेते हैं।

कुछ विद्वानों(Scholars) ने तो उन्हें बंगाल और उड़ीसा का भी साबित करने की कोशिस(Effort) की है। कहते हैं कि कालिदास की श्रीलंका में हत्या कर दी गई थी लेकिन विद्वान इसे भी कपोल-कल्पित मानते हैं।

मुख्य रचनाएँ

नाटक- अभिज्ञान शाकुन्तलम्, विक्रमोर्वशीयम् और मालविकाग्निमित्रम्; 

अभिज्ञान शाकुन्तलम्-

Kalidas Story Biography In Hindi

via:s.s-bol.
अभिज्ञान शाकुन्तलम् महाकवि कालिदास का विश्वविख्यात (world famous)नाटक है ‌जिसका अनुवाद प्राय: सभी विदेशी भाषाओं में हो चुका है। इसमें राजा दुष्यन्त तथा शकुन्तला के प्रणय, विवाह, विरह, प्रत्याख्यान(Repudiation) तथा पुनर्मिलन की एक सुन्दर कहानी है। पौराणिक(Mythological) कथा में दुष्यन्त को आकाशवाणी द्वारा बोध होता है पर इस नाटक(drama) में कवि ने मुद्रिका द्वारा इसका बोध कराया है।

इसकी नाटकीयता(Theatrical ism), इसके सुन्दर कथोपकथन, इसकी काव्य-सौंदर्य से भरी उपमाएँ(Compare) और स्थान-स्थान पर प्रयुक्त हुई समयोचित सूक्तियाँ; और इन सबसे बढ़कर विविध प्रसंगों की ध्वन्यात्मकता इतनी अद्भुत है कि इन दृष्टियों(Visions) से देखने पर संस्कृत के भी अन्य नाटक(drama) अभिज्ञान शाकुन्तल से टक्कर नहीं ले सकते; फिर अन्य भाषाओं का तो कहना ही क्या ! तो यहीं सबसे ज्यादा अच्छा है।

विक्रमोर्वशीयम्

Kalidas Story Biography In Hindi

via:pbs.twimg.

विक्रमोर्वशीयम् कालिदास का विख्यात(famous) नाटक। यह पांच अंकों का नाटक है। इसमें राजा पुरुरवा तथा उर्वशी का प्रेम और उनके विवाह की कथा(story) है।

मालविकाग्निमित्रम्

Kalidas Story Biography In Hindi

via:cdn
मालविकाग्निमित्रम् कालिदास द्वारा रचित संस्कृत नाटक है। यह पाँच अंकों का नाटक है जिसमे मालवदेश की राजकुमारी मालविका तथा विदिशा के राजा अग्निमित्र का प्रेम और उनके विवाह का वर्णन है। वस्तुत: यह नाटक राजमहलों(Palace) में चलने वाले प्रणय षड़्यन्त्रों का उन्मूलक है तथा इसमें नाट्यक्रिया(Theatricals) का समग्र सूत्र विदूषक के हाथों में समर्पित है।

यह शृंगार रस प्रधान(Prime) नाटक है और कालिदास की प्रथम नाट्य कृति(Work) माना जाता है। ऐसा इसलिये माना जाता है क्योंकि इसमें वह लालित्य, माधुर्य एवं भावगाम्भीर्य दृष्टिगोचर नहीं होता जो विक्रमोर्वशीय अथवा अभिज्ञानशाकुन्तलम् में है।

कालिदास ने प्रारम्भ में ही सूत्रधार(Formalist) से कहलवाया है -

पुराणमित्येव न साधु सर्वं न चापि काव्यं नवमित्यवद्यम़्।
सन्त: परीक्ष्यान्यतरद्भजन्ते मूढ: परप्रत्ययनेयबुद्धि:॥


अर्थात पुरानी होने से ही न तो सभी वस्तुएँ (Things)अच्छी होती हैं और न नयी होने से बुरी तथा हेय। विवेकशील(Discriminating) व्यक्ति अपनी बुद्धि से परीक्षा करके श्रेष्ठकर वस्तु को अंगीकार कर लेते हैं और मूर्ख(idiot) लोग दूसरों द्वारा बताने पर ग्राह्य(Admissible) अथवा अग्राह्य का निर्णय करते हैं।

वस्तुत: यह नाटक नाट्य-साहित्य के वैभवशाली अध्याय का प्रथम पृष्ठ है।


महाकाव्य

रघुवंशम् और कुमारसंभवम्, खण्डकाव्य- मेघदूतम् और ऋतुसंहार

रघुवंशम्

Kalidas Story Biography In Hindi

via:image/jpeg

रघुवंश कालिदास रचित महाकाव्य है। इस महाकाव्य में उन्नीस सर्गों में रघु के कुल में उत्पन्न बीस राजाओं का इक्कीस प्रकार के छन्दों का प्रयोग करते हुए वर्णन किया गया है। इसमें दिलीप, रघु, दशरथ, राम, कुश और अतिथि(Guest) का विशेष वर्णन किया गया है। वे सभी समाज में आदर्श स्थापित(Established) करने में सफल हुए। राम का इसमें विषद वर्णन किया गया है। 19 में से 6 सर्ग उनसे ही 
Related हैं।

आदिकवि वाल्मीकि ने राम को नायक बनाकर अपनी रामायण रची(Ratch), जिसका अनुसरण विश्व(World) के कई कवियों और लेखकों ने अपनी-अपनी भाषा में किया और राम की कथा(The story) को अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया। कालिदास ने यद्यपि राम की कथा रची परंतु इस कथा में उन्होंने किसी एक पात्र को नायक के रूप में नहीं उभारा। उन्होंने अपनी कृति ‘रघुवंश’ में पूरे वंश की कथा(The story) रची, जो दिलीप से आरम्भ होती है और अग्निवर्ण(Fire) पर समाप्त होती है। अग्निवर्ण के मरणोपरांत उसकी गर्भवती पत्नी के राज्यभिषेक के उपरान्त इस महाकाव्य की इतिश्री होती है।

रघुवंश पर सबसे प्राचीन उपलब्ध टीका १०वीं शताब्दी के काश्मीरी कवि वल्लभदेव की है। किन्तु सर्वाधिक प्रसिद्ध टीका मल्लिनाथ 1350 ई - 1450 ई) द्वारा रचित 'संजीवनी' है।

कुमारसंभवम्

Kalidas Story Biography In Hindi

via:www.google.com

कुमारसंभव महाकवि कालिदास विरचित(Disturbed) कार्तिकेय के जन्म से संबंधित महाकाव्य जिसकी गणना(Calculation) संस्कृत के पंच महाकाव्यों में की जाती है।

इस महाकाव्य में अनेक स्थलों पर स्मरणीय और मनोरम वर्णन हुआ है। हिमालयवर्णन, पार्वती की तपस्या, ब्रह्मचारी की शिवनिंदा, वसंत आगमन, शिवपार्वती विवाह और रतिक्रिया वर्णन अदभुत अनुभूति उत्पन्न करते हैं। कालिदास का बाला पार्वती, तपस्विनी(anchoress) पार्वती, विनयवती पार्वती और प्रगल्भ पार्वती आदि रूपों नारी का चित्रण(Depiction) अद्भुत है।

यह महाकाव्य 17 सर्ग्रों(Sergons) में समाप्त हुआ है, किंतु लोक धारणा है कि केवल प्रथम आठ सर्ग ही कालिदास रचित(कंपोज्ड) है। बाद के अन्य नौ सर्ग अन्य कवि की रचना है ऐसा माना जाता है। कुछ लोगों की धारणा है कि काव्य आठ सर्गों में ही शिवपार्वती समागम के साथ कुमार के जन्म की पूर्वसूचना के साथ ही समाप्त हो जाता है। कुछ लोग कहते हैं कि आठवें सर्ग मे शिवपार्वती के संभोग का वर्णन करने के कारण कालिदास को कुष्ठ हो गया और वे लिख न सके। एक मत यह भी है कि उनका संभोगवर्णन जनमानस को रुची नहीं इसलिए उन्होंने आगे नहीं लिखा।


मेघदूतम्

Kalidas Story Biography In Hindi

via:2.bp.blogspot

मेघदूतम् महाकवि(Great poet) कालिदास द्वारा रचित विख्यात दूतकाव्य(Ambassador) है। इसमें एक यक्ष की कथा है जिसे कुबेर अलकापुरी से निष्कासित कर देता है। निष्कासित यक्ष रामगिरि पर्वत पर निवास करता है। वर्षा ऋतु(Season) में उसे अपनी प्रेमिका की याद सताने लगती है। कामार्त(
Work) यक्ष सोचता है कि किसी भी तरह से उसका अल्कापुरी लौटना(To return) संभव नहीं है, इसलिए वह प्रेमिका तक अपना संदेश दूत(messenger) के माध्यम से भेजने का निश्चय करता है। अकेलेपन का जीवन गुजार रहे यक्ष को कोई संदेशवाहक(Courier) भी नहीं मिलता है, इसलिए उसने मेघ के माध्यम से अपना संदेश विरहाकुल(Immaculate) प्रेमिका तक भेजने की बात सोची। इस प्रकार आषाढ़ के पहले  दिन आकाश(Sky) पर उमड़ते मेघों ने कालिदास की कल्पना के साथ मिलकर एक अनन्य कृति की रचना कर दी

मेघदूत की लोकप्रियता(Popularity) भारतीय साहित्य में प्राचीन काल से ही रही है। जहाँ एक ओर प्रसिद्ध टीकाकारों(Commentators) ने इस पर टीकाएँ लिखी हैं, वहीं अनेक संस्कृत कवियों(Poets) ने इससे प्रेरित होकर अथवा इसको आधार बनाकर कई दूतकाव्य(Ambassador) लिखे। भावना और कल्पना का जो उदात्त प्रसार मेघदूत में उपलब्ध(available) है, वह भारतीय साहित्य में अन्यत्र विरल है। नागार्जुन ने मेघदूत के हिन्दी अनुवाद की भूमिका(role) में इसे हिन्दी वाङ्मय का अनुपम(matchless) अंश बताया है।

ऋतुसंहार

Kalidas Story Biography In Hindi

via:cdn.exoticindia

ऋतुसंहार कालिदास का एक विख्यात काव्य है। ऋतुसंहार महाकवि कालिदास की प्रथम काव्यरचना मानी जाती है, जिसके छह सर्गो में ग्रीष्म से आरंभ कर वसंत तक की छह ऋतुओं का सुंदर प्रकृतिचित्रण प्रस्तुत किया गया है। ऋतुसंहार का कलाशिल्प महाकवि की अन्य कृतियों की तरह उदात्त न होने के कारण इसके कालिदास की कृति होने के विषय में संदेह किया जाता रहा है। मल्लिनाथ ने इस काव्य(Poetry) की टीका नहीं की है तथा अन्य किसी प्रसिद्ध टीकाकार(
Commentator) की भी इसकी टीका नहीं मिलती है। जे. नोबुल तथा प्रो॰ए.बी. कीथ ने अपने लेखों में ऋतुसंहार(Season) को कालिदास की ही प्रामाणिक(Authentic) एवं प्रथम रचना सिद्ध किया है।

'ऋतुसंहार' का शाब्दिक अर्थ है- ऋतुओं का संघात या समूह। इस खण्डकाव्य में कवि ने अपनी प्रिया को सबोधित कर छह ऋतुओं का छह सर्गों में सांगोपांग वर्णन किया है। प्रकृति के आलंबनपरक तथा उद्दीपनपरक दोनों तरह के रमणीय चित्र काव्य की वास्तविक आत्मा हैं। कवि ने ऋतु-चक्र का वर्णन ग्रीष्म से आरंभ कर प्रावृट् (वर्षा), शरद्, हेमन्त व शिशिर ऋतुओं(seasons) का क्रमशः दिग्दर्शन कराते हुए प्रकृति के सर्वव्यापी(Omnipresent) सौंदर्य माधुर्य एवं वैभव से सम्पन्न वसंत ऋतु के साथ इस कृति का समापन किया है। प्रत्येक ऋतु के संदर्भ में कवि ने न केवल संबंधित कालखंड के प्राकृतिक वैशिष्ट्य, विविध दृश्यों व छवियों का चित्रण किया गया है बल्कि हर ऋतु में प्रकृति-जगत् में होनेवाले परिवर्तनों व प्रतिक्रियाओं के युवक-युवतियों व प्रेमी-प्रेमिकाओं के प्रणय-जीवन(Love life) पर पड़ने वाले प्रभावों का भी रोमानी शैली में निरूपण(Representation) व आकलन किया है। प्रकृति के प्रांगण में विहार करनेवाले विभिन्न पशु-पक्षियों तथा नानाविध वृक्षों, लताओं व फूलों को भी कवि भूला नहीं है। कवि भारत के प्राकृतिक वैभव तथा जीव-जन्तुओं के वैविध्य के साथ-साथ उनके स्वभाव व प्रवृत्तियों से भी पूर्णतः परिचित है। प्रत्येक सर्ग के अंतिम पद्य में कवि(Poet) ने संबोधित ऋतु के अपने समस्त वैभव व सौंदर्यपूर्ण उपादानों के साथ सभी के लिए मंगलकारी(Mangalee) होने का अभ्यर्थना की है।

अन्य रचनाएँ

इनके अलावा कई छिटपुट रचनाओं का श्रेय कालिदास को दिया जाता है, लेकिन विद्वानों का मत है कि ये रचनाएं अन्य कवियों ने कालिदास के नाम से की। नाटककार और कवि के अलावा कालिदास ज्योतिष के भी विशेषज्ञ माने जाते हैं। उत्तर कालामृतम् नामक ज्योतिष पुस्तिका की रचना का श्रेय कालिदास को दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि काली देवी की पूजा से उन्हें (Astrology) का ज्ञान मिला। इस पुस्तिका में की गई भविष्यवाणी(Prediction) सत्य साबित हुईं।

श्रुतबोधम्
शृंगार तिलकम्
शृंगार रसाशतम्
सेतुकाव्यम्
पुष्पबाण विलासम्
श्यामा दंडकम्
ज्योतिर्विद्याभरणम्

महाकवि कालिदास की जीवनी एवं प्रमुख रचनाये | Kalidas Biography In Hindi