कभी जाना संसद भवन में पंखे उल्टे क्यों लगे होते है ? | Why upside Parliament House fan In Hindi

कभी जाना संसद भवन में पंखे उल्टे क्यों लगे होते है ?  | Why upside Parliament House fan In Hindi

In : Meri kalam se By storytimes About :-20 days ago
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भारत की सर्वोंच्य धरोहर में एक है संसद भवन। भारत की इस ऐतिहासिक धरोहर का निमार्ण वर्ष 1927 में हुआ था। कई दशक बीत जाने के बाद भी संसद भवन की निमार्ण कला दुनिया भर में वास्तुकला का एक अलग ही नमुना पेश करती है। 
भारत के संसद भवन की अदभुत वास्तकला के निमार्ण के चलते देश के साथ विदेशों से भी पर्यटक यहां पहुंचते है। संसद भवन की वास्तुकला के साथ इस भवन में लोक सभा के साथ राज्य सभा सदन होने के चलते भी पर्यटक यहां पहुचते है।

संसद भवन के निमार्ण की पहली नींव “ ड्यूक ऑफ कनाट ” ने 12 फरवरी 1921 को रखी थी। संसद भवन के इस अदभुत डिजाईन का निमार्ण एडविन लुटियंस व सर हर्बर्ट बेकर ने किया था। संसद भवन के निमार्ण में 6 वर्ष का समय लगा । इसके निमार्ण के बाद गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी 1927 शिलान्यास किया था।

संसद भवन से जुड़ी यह रोचक जानकारी

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दोस्तो हम आपसे पुछें की आप के घर में छत पंखे कैसे लगे हुए है। तो आपका सीधा और सरल सा जबाब होगा छत से उल्टे लटके हुए है। लेकिन दोस्तो संसद भवन में ऐसा नही है। संसद भवन में लगे पंखे छत से नही बल्कि छत के विपरीत लटके हुए है। क्यो दोस्तो है ना आर्श्चयजनक बात!

दोस्तो आज संसद भवन के अंदर से जब भी लाइव टीवी चल रहा तो इस बात को नोटिस करना की संसद भवन के अंदर हाल में लगे पंखे छत के उल्टी दिशा में लटके हुए होते है। इन पंखो को छत के न लटकाते हुए इन्हें फर्श पर खंबे के सहारे लगाया गया है। संसद भवन के इस अजीब आर्किटेक्चर के बारे में आप भी सोच रहे होगें ऐसा क्यो हुआ। वह ऐसा करने के पीछे क्या वजह रही थी। इन्हें छत की उल्टी तरफ पंखे लटकाने पड़े?

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इतिहास के तथ्यो के अनुसार बात करे तो माना गया था कि संसद भवन के निमार्ण इसके अंदर बने गुंबद को सबसे ज्यादा अहमियत दी गई थी। इसके चलते आर्कटेक्चरों ने इसे खुबसुरत बनाने के लिए इसे ऊंचाई पर बनाया गया। छत की ऊंचाई अधिक होने के चलते पंखे लगाने पर इस पर पंखे लटाकने से इसकी खुबसुरती पर असर पड़ता। इसी को ध्यान में रखते हुए बाद में सेंट्रल हॉल में खंबों सहायता से पंखे लगाए गए।

इस तरह हुआ संसद का निमार्ण

भारत की ऐतिहासिक धरोहरों में एक संसद भवन का निमार्ण भारत में मौजूद “ चौसठ यागिनी मंदिर ” के आधार पर हुआ। चौसठ योगिनी से जुड़े 4 मंदिर भारत में स्थित है । यह 2 मध्यप्रदेश व 2 ओडिशा राज्य में मौजूद है। इन चारो मंदिरो में सबसे प्राचिन मंदिर मध्यप्रदेश के मुरेना में स्थिन मंदिर है। मुरेना के  “ चौसठ योगिनी मंदिर ” उत्कृष्ट वास्तुकला के साथ इसमें कुल 64 कमरो का निमार्ण किया गया है। खास बात हर कमरें एक शिवलिंग है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 200 सीढ़िया पार कर पहुंचना पड़ता है।

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भारत के इन “ चौसठ यागिनी मंदिर ” की वास्तुकला का ध्यान में रखकर ही ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस व सर हर्बर्ट ने संसद भवन की डिजाइन तैयार की। संसद भवन का निमार्ण वृतीय आकार में किया गया है जो 101 खंबो पर स्थिर है। संसद भवन में बालुई पत्थरों से 144 स्तंभ बने हुए है। हर स्तंभ की ऊंचाई 27 फिट है। संसद भवन कुल 27 एकड़ में फैला हुआ है। लेकिन संसद में जो मुख्य व सबसे अलग है वो इसके अंदर बना गुंबद। संसद भवन में कुल 12 दरवाजे बनाए गए है। इनमें एक मुख्य द्वार है।


इतिहासकारों के अनुसार संसद भवन में संसद की बनावट के समय से ही सेंट्रल भवन में पंखे उल्टे ही लगाएं गए है, तब से इनमें किसी तरह का बदलाव नही किया गया है।

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